August 17, 2009

शाहरुख बनाम सुरक्षा

बालीवुड के प्यारे बड़बोले अभिनेता शाहरुख खान की अमेरिकी हवाई अड्डे पर जांच हो ली| वो भी पूरे 66 मिनट तक | भाई जान बुरा मान गए | छनछनाने लगे | अब सोचिये इतने बड़े अभिनेता का समय कितना कीमती होता है | 66 मिनट में लाखों का नुकसान हो गया, उसकी भरपाई कौन करेगा | पहले तो हमने दो घंटे सुना था, पर यह आंकडा हम बीबीसी के हवाले से दे रहे हैं | जब 'बादशाह' की ऐसी बेज्जती हुई तो अपने यहाँ की मीडिया यहाँ तक कि कुछ नेतागण भी गुस्से में भावुक हो गए |

क्रिकेट
खिलाड़ी और बोलीवुड खिलाड़ी हिन्दुस्तानी मीडिया के लिए विशेष 'ख़बर तत्व' हैं क्योंकि ये दोनों तत्व भारतीयों के लिए विशेष 'भावुकता तत्व' हैं | इन्हें जनता भगवान की तरह पूजने लगती है | चने के झाड़ की एकदम लास्ट वाली फुन्नी में चढाकर बैठाती है | जिससे झाड़ थोड़ा भी इधर-उधर हिले-डुले तो इनकी हरकतें नजर आयें | किंग खान को गुस्से में ध्यान नहीं रह गया होगा की वे अमेरिका में हैं | बहुत जल्दी में थे | कार्यक्रम के लिए देर हो रही थी | ऐसे में देश प्रेम की भावना तुंरत जागृत हो जाती है | जनता की भी और जनार्दन की भी | फलतः दोनों ही अपमान मोड में चले जाते हैं |

"ऐसा मेरे साथ भी हुआ है। अब तो जिस तरह वे हमारी जाँच करते हैं उसी तरह हमें भी अमरीकियों की जाँच करनी चाहिए."
- अम्बिका सोनी | (मतलब कई अभी तक इज्जत मर्यादा लिए चुप बैठे हैं )

तो आप जांच करवाइए , किसी भारतीय को कोई आपत्ति नहीं है | यही तो आपकी मजबूरी है कि आप इतनी कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकते | आप अक्षरधाम और संसद पर हमलों के बाद भी 26/11 झेलने के लिए तैयार रहते हैं | लेकिन धृष्ट अमेरिका दूध के जले की तरह छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है | क्योंकि उसके सामने दो ही विकल्प हैं या तो आतंकी हमले का खतरा ले या कड़ी जांच करे | वह भारत देश से कोई सबक नहीं लेना चाहता | वो कहता है कि हम 19/11 को दुहराना नहीं चाहते | कौन समझाए, समझता ही नहीं |

शाहरुख़ के बोलीवुड दोस्त (?) सल्लू मियां इसकी पुष्टि करते हैं |

"अमरीका में जाँच के कड़े प्रावधान हैं. तभी तो 9/11 के बाद कोई चरमपंथी घटना नहीं हुई. ये तो सबके साथ होता है. इसे तूल नहीं देना चाहिए|"
- सलमान ख़ान

भारत देश वर्तमान में वीआइपी संस्कृति का देश है | हम वीआईपी को जांच से मुक्त रखते हैं | वे (बड़े बड़े नौकरशाह , नेता तथा उनके साथ चलने वाले सेवक) विशेष हैं और प्रजा के लिए बनाये गए कानून से मजबूर नहीं हैं | वह नियम और कानून से ऊपर हैं | क़ानून तो बिना पहुँच वालों के लिए है | कोई सिक्योरिटी वाला उनके और उनके साथ चल रहे कुनबे को जांच की दृष्टि नहीं देख सकता, बस एक बार बताने की जरूरत है की हम 'फलां जी के ढिका' हैं | फ़िर किसकी हिम्मत है, की कोई कर्मचारी उन्हें नियम के दायरे में ला सके या लाइन में खड़ा कर सके | चाहे अस्पताल हो या स्कूल, ट्रेन हो या सड़क ट्रैफिक या हवाई अड्डा हर जगह उनके लिए कानून अप्रदत्त अलिखित सुविधाएं हैं | यदि किसी साहसी कर्मचारी ने उन्हें इस तरह के दुरुपयोग से वंचित करने की कोशिश की तो वह ख़ास ख़बर बनती है | जैसे कोई अजूबा हो गया हो | इस बात का सबसे ज्यादा फायदा अपराधी तत्व और आतंकवादी उठाते हैं |

यहाँ किरण बेदी को वरिष्ठता के बावजूद वह पद नहीं मिलता जिसकी वह हकदार है, क्योंकि वह किसी को क़ानून
अप्रदत्त सुविधाएं देने के लिए बदनाम हैं | यह एक अव्यवहारिक आचरण है | सबको अपनी नौकरी और बाल-बच्चों से प्यार है | वे नियम और क़ानून से ऊपर हैं, इससे हमारे देश की जी हुजूरी संस्कृति का अपमान होता है | वीआईपी मतलब जांच प्रूफ़ | यदि जांच होती भी है तो घोटाले के बाद और घोटाला की जांच 'परिणाम प्रूफ़' होती है | सांसद लोग विदेश भ्रमण के बहने कबूतरबाजी ही कर डालें | यहाँ सब चलता है |

इन सब तुच्छ बातों पर महान देश के महान नागरिक ध्यान नहीं देते | इन मुद्दों की बात करना तक देशप्रेम में कमी के लक्षण हैं | हम अमेरिका और यूरोप से उनकी क़ानून के प्रति प्रतिबद्धता और सम्मान नहीं सीखते | केवल उन्हें गरियाकर खुश होते रहते हैं |

इसके पहले अमेरिका में पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा और अभी हाल ही में 'मिसाइल मैन' और पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम की (प्रोटोकाल का उल्लंघन करते हुए) भारत में ही जाँच हो गई, तो सिर्फ़ ख़बर बनी | कलाम साहब सीधे-सादे वैज्ञानिक तबियत के आदमी | इसे सुरक्षा प्रक्रिया का हिस्सा मानकर नजरंदाज कर दिया |

शाहरूख जी ने अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए कहा कि "खान" लगा होने की वजह से उन्हें परेशान किया गया | शिकागो जाते समय उन्हें नेवार्क हवाई अड्डे पर रोका गया और पूछताछ की गई। यह एक गैरजिम्मेदाराना बयान है | घटना को एक विशेष समुदाय से जोड़ने की कोशिश | सहानुभूति हासिल करने के लिए |


"स्टार क्रिकेटर रभजनसिंह का इस मामले में कुछ और ही मानना है। भज्जी ने कहा कि शाहरुख के साथ कुछ भी गलत नहीं हुआ है। इस मामले को उन्होंने नियमित प्रक्रिया करार दिया। हरभजन ने कहा कि वे कई बार इन जांच प्रक्रिया से गुजरे हैं, इसमें उन्हें कुछ भी गलत नहीं लगता।"

"उन्होंने कहा कि वे प्रत्येक की जाँच करते हैं। यहाँ तक कई बार मुझे भी गहन जाँच प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। यह नियमित प्रक्रिया है। हालाँकि एसआरके नामी हस्ती हैं और उनका सम्मान होना चाहिए |"

"किंग खान ने कहा कि इस समय मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं कभी अमेरिकी धरती पर कदम नहीं रखूँ, लेकिन यहाँ मौजूद मेरे लाखों प्रशंसक मुझे यहाँ देखना चाहेंगे, इसलिए मैं यहाँ आता रहूँगा।"

बहुत बढ़िया ! बोलते रहिये |

कुछ नादान लोग कहते हैं कि शाहरुख़ एक फ़िल्म अभिनेता ही हैं | जांच हो भी गई तो इतनी हाय-हाय क्यों | वहां के अधिकारी तो केवल नियमित जांच ही कर रहे थे | दुःख की बात है कि ज्यादातर ब्लोगर भी शाहरुख़ और सरकार की भावना को नहीं समझ रहे हैं |

मेरे ऑनलाइन मित्र 'सुदाम पाणिग्राही' जो gramaar पर लिखते हैं, को यह समाचार याद दिलाने के लिए धन्यवाद् !

5 comments:

  1. Very good. The reality is that we dont learn rather come to the road in protest against those things. first of all we must not idolize Shahrukh as he but a mere Film star. have they contributed anything to the society or community. Everyone barring some like Amir, Prity have raked moolahs but never allowed a tiny part to trickle down to the community. Had they tried in right earnest, there might not have been Dharavi or Slumdog Millionaire.

    what happened if Sharukh was checked. And look how he gives colour to this simple procedural event. It was like the allegation of Imran Hasmi that he was not getting a House solely for his religion.

    India should learn from this and tighten own security to avoid another terrorist attack. Soley for India's laxity we have made terrorism a part of our society. Rubbish!

    And look at the role of media, shahrukh was checked and they made it a news item to run for 24 hours to change the mind of common men. Our news hungry media is also to be blamed for this extra focus.

    You are right friend when you say that India's VIP culture is one of the cause of our laxity.

    You have pointed out my name and i feel honoured. thanks friend.

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  2. बढ़िया पोस्ट.

    सच बात यही है कि हम तमाम लोगों को सर पर बैठाने के लिए राष्ट्र सम्मान की दुहाई देते रहते हैं. अमेरिका के साथ ही क्यों, हम किसी के साथ भी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं. सवाल एक ही है कि हम वी आई पी सिंड्रोम से निकलना चाहते हैं या नहीं.

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  3. अब-कुछ जानते बूझते भी कहीं बड़बोलापन आगे आ जाता है

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  4. हा...हा...हा...हा...इसे कहते हैं.....चित्त भी मेरी.....पट भी मेरी.....ठीक है भय्यिये इसी तरह सच लिखते रहो.....सबकी बोलती बंद....!!

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  5. "मतलब कए अभी तक चुप बैठे हैं इज़्ज़त-मर्यादा लिये"...हा..हा..बहुत बढिया.

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नेकी कर दरिया में डाल