July 16, 2009

प्रकाश सिर्फ़ दस कदम और यात्रा .....

एक सीधा-सादा किसान, जीवन में पहली बार पहाडियों की यात्रा को जा रहा था | वे पहाडियां यद्यपि उसके गाँव से बहुत दूर नहीं थीं, फ़िर भी वह कभी उन तक नहीं जा सका था | उनकी हरियाली से ढंकी चोटियां उसे अपने खेतों से ही दिखाई पड़ती थीं | बहुत बार उसके मन में उन्हें निकट से जाकर देखने की आकांशा अत्यन्त बलवती भी हो जाती थी | लेकिन कभी एक, तो कभी दूसरे कारण से बात टलती चली गई थी, और वह वहाँ नहीं जा पाया था | पिछली बार तो वह इसलिए ही रुक गया था, क्योंकि उसके पास कंडील नहीं थी और पहाडियों पर जाने के लिए आधी रात के अंधेरे में ही निकल जाना आवश्यक था | सूर्य निकल आने पर तो पहाड़ की कठिन चढाई और भी कठिन हो जाती थी |

एक दिन वह कंडील भी ले आया और पहाडों पर जाने की खुशी में रात भर सो भी नहीं सका | रात्रि दो बजे ही वह ठिठककर रुक गया | उसके मन में एक चिंता और दुविधा पैदा हो गयी | उसने गाँव के बाहर आते ही देखा की अमावास की रात्रि का घुप्प अन्धकार है | निश्चय ही उसके पास कंडील थी, लेकिन उसका प्रकाश तो दस कदमों से ज्यादा नहीं पङता था और चढाई थी दस मील की ! वह सोचने लगा की जाना है दस मील और रोशनी है केवल दस कदम पड़ने वाली, तो कैसे पूरा पडेगा ? ऐसे घुप्प अन्धकार में इतनी-सी कंडील के प्रकाश को लेकर जाना क्या उचित है ? यह तो सागर में जरा-सी डोंगी लेकर उतरने जैसा ही है | वह गाँव के बाहर ही बैठा रहा और सूर्य के निकलने की बाट जोहने लगा |

तभी उसने देखा कि एक बूढा आदमी उसके पास से ही पहाडियों की तरफ़ जा रहा है और उसके हाथ में तो और भी छोटी कंडील है | उसने वृद्ध को रोककर जब अपनी दुविधा बताई तो वृद्ध खूब हंसने लगा और बोला : "पागल ! तू पहले दस कदम तो चल | जितना दीखता है, उतना तो आगे बढ़ | फ़िर इतना ही और आगे दीखने लगेगा | एक कदम दीखता हो तो उसके सहारे तो सारी भूमि की ही परिक्रमा की जा सकती है|"

वह युवक समझा, उठा और चला और सूर्य निकलने के पूर्व ही वह पहाडियों पर था |

जो सोचता, है वह नहीं ; जो चलता बस केवल वही पहुंचता है |
"
इतना विवेक, इतना प्रकाश प्रत्येक के पास है कि उससे कम से कम दस कदम का फासला दिखाई पड़ सके
और उतना ही पर्याप्त है | परमात्मा तक पहुँचने के लिए भी उतनी ही पर्याप्त है |

सन्दर्भ : ओशो द्बारा कही गयी बोध कथा

4 comments:

  1. बहुत अच्छी बोध कथा बड़ी सहजता से कही है आपने ! सच है--
    जितना मिला है, वह कम नहीं !
    राह लम्बी है तो कोई गम नहीं !!
    आभार ! आ. ...

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  2. It is the small step forward towards the destination that counts as it is rightly said that every big achievement we know began with a small step. Too much planning and cherishing to fill every loopholes make the entire plan falter very often. Very often it happens that without any pre planning one gets huge success because one knows how to go forward. No doubt some planning is required but one should always focus ahead and start the journey. it is the start that matters.

    Thanks that you have started and wish you reach your destination.

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  3. बहुत ही बढिया बोध कथा...आंखें खोलने वाली..राह दिखाने वाली. बधाई.

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  4. ye mohabbat to malik ki saugat hai warna mai kya hoon kya meri auqat hai

    thanks for ur comments and i like ur Blog too

    -Latahaya

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नेकी कर दरिया में डाल