May 08, 2009

दूरी का दर्शन

यद्यपि यह दूरी ही है
आधार मेरे, तुम्हारे और

इस संसार की मौजूदगी का,
फ़िर भी शिकायत की जाती है
दूरी की
इसके अदृश्य पैमानों के द्वारा,
जो बदलते रहते हें, समय के साथ
जाने जाते हैं, अलग-अलग नामों से |

यह एक ही शब्द सबसे सरल
सबकी समझ में आने वाला
और हर प्रश्न का उत्तर ,
जैसे कोई मास्टर चाबी या
हर मर्ज की एक ही दवा |

वह एक शब्द
जो नहीं लिया गया,
गम्भीरता से व्याख्या के लिये
तत्वशात्र की, मानवीय संबंधों की
और इस अस्तित्व की |

यह रहस्यात्मक है, इसकी इकाइयां
बदलती रहती हैं समय के साथ,
पैठ करती हुई विभिन्न आयामों में |
इसीलिये तो लोग पास आकर भी दूर हो जाते हैं,
अमाप्य फ़ासलों तक
निर्मित हो जाता है एक ब्लैक होल
जो सोख लेता है
सम्बन्ध के समस्त उपायों को |

इस विश्व का आधार है
परमाणुओं, अणुओं, ग्रहों और
सितारों के बीच की दूरी,
संबंधों के बनने और बिगडने का
आधार भी है दूरी |
अलग-अलग तय सीमाओं में
दूरी के सेतु से बन्धे हुए हें हम |
जिस पर चढ्कर जाते हैं,
एक दूसरे तक |

दूरी ही जड है
सभी व्यक्तियों, समुदायों और
धर्मों के बीच झगडे का |
जीवन का विरोधाभाष है धर्म
जो जन्मतें हैं,
दूरियां मिटाने के नाम पर
सबसे ज्यादा दूरियां बढाते हुए
दिलों के बीच |

राजनीति, जो
दूरियां पैदा करने का ही
घॄणित रोजगार है,
धोने को विवश हैं, हम
इस आवश्यक बुराई को
अपने बीच कि दूरियों के कारण |

प्रेम है दूरियां मिटाने का,
सुखद दूरियां बनाये रखने का उपकरण ।
और दूरी का दर्शन समझने में है
जीवन का रह्स्य |

1 comment:

  1. दूरी ही जड है
    सभी व्यक्तियों, समुदायों और
    धर्मों के बीच झगडे का |
    जीवन का विरोधाभाष है धर्म
    जो जन्मतें हैं,
    दूरियां मिटाने के नाम पर
    सबसे ज्यादा दूरियां बढाते हुए
    दिलों के बीच |
    kyaa baat hai, arkjesh jee..

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